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जब 14 फरवरी 1628 को शाहजहां मुगल साम्राज्य का सम्राट बना तो उसने देश भर के राजाओ को अपने राज्याभिषेक में बुलावा भेजा। राज्यभिषेक का निमन्त्रण गढ़वाल नरेश महपति शाह को भी मिला पर वो एक मुगल शासक के अधीन मिले निमन्त्रण को स्वीकार नही करना चाहते थे,इसलिए उन्होंने इस निमन्त्रण को ठुकरा दिया।


इसे शाहजहाँ ने अपना अपमान समझा और अपने अपमान का बदला लेने के लिए वक़्त की बांट जोहने लगे।


नजीबाबाद का सुल्तान जो गढ़वाल को अपने कब्जे में रखना चाहता था उसने शाहजहाँ को महपति शाह के विरुद्ध भड़काने लगा। उसने शाहजहाँ को बताया की गढ़वाल में सोने की खान के भण्डार है और वहां की स्त्रियां इतनी सुंदर है जैसे की अप्सरा स्वर्ग से सीधे वही रहने चली आती है,इन स्त्रियों से आपके हरम की शान बढ़ जाएगी।


साथ ही उसने महपति शाह की वीरता का भी बखान किया और अभी हमला न कर सही वक़्त का इंतज़ार करने को कहा।


कुछ समय बाद जब महपति शाह की दुर्घटना में म्रत्यु हो गई तो ,उनकी पत्नी कर्णवती ने अपने सात वर्षीय पुत्र पृथ्वीपति शाह को राजा घोषित कर दिया और खुद सहायिका बन राज्य का संचालन करने लगी।


शाहजहां को जब महपति शाह की म्रत्यु का पता लगा तो उन्होंने सन 1635 में सेनापति नज़बत खान के नेर्तत्व मे एक विशाल सेना गढ़वाल में चढ़ाई के लिए भेज दी।


नज़बत खान ने धमकी दी की गढ़वाली स्त्रियों को शाहजहाँ के हरम में नचवाकर शाहजहाँ के अपमान का बदला लेंगे।गढ़वाल साम्राज्य की नाक काट देंगे।


#महारानी_कर्णवती को जब इस धमकी का पता लगा तो वो क्रोध में आ गई और धमकी के जवाब देने की रणनीति बनाने लगी।


रानी कर्णवती ने मुगल सेना को अपने राज्य में आने दिया और जैसे ही सेना लक्छ्मण झूला में पहुची तो झूला पुल को दोनों तरफ से घेर लिया।अब मुगल सेना झूला पुल में फस गई।नीचे गंगा नदी की वेग में बहती धार ऊपर हिमालय के ऊँचे पर्वत।उनके लिए बचने के सारे रास्ते बन्द हो गए।


तब नज़बत खान ने कर्णावती को संधि का प्रस्ताव भेजा तो महारानी ने उनसे कहा की अगर वो सब खुद की नाक काट ले तब ही उन्हें यहां से ज़िंदा छोड़ा जाएगा।


और मौत के भय ने मुगल सेना ने अपनी नाक काट कर अपना जीवन बचाया।


इस घटना से महारानी कर्णावती नाक काटी रानी नाम से प्रसिद्ध हो गई।


इस घटना से अपमानित होकर 1642 ईसवी में नज़बत खान ने आत्महत्या कर ली।


【इटली के लेखक "निकोलो मनूची" ने अपनी किताब " डी मोगोल" में नाक काटी रानी का ज़िक्र किया है लेकिन किसी भारतीय लेखक द्वारा शायद ही लिखा मिले ये सब】